......यदि एक अकेले 'रूस' के विरुद्ध 'अमेरिका और उनके अधिकतर यूरोपियन लुटेरे साथी' इकट्ठे होकर उसे नुकसान पहुँचाने का काम करें, तो उनके अनुसार वह एकदम उचित व न्यायसंगत है; लेकिन कोई दूसरा देश यदि अपने हितों के अनुरूप काम करने का निर्णय करे, तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह पहले इस गैंग की अनुमति प्राप्त करे. किसी दूसरे 'देश,' अथवा 'देशो के समूह' को यह अधिकार कदापि नहीं है कि वे किसी का साथ देने अथवा न देंने का निर्णय स्वयं से करें. यह विशेषाधिकार मात्र इसी गैंग को हासिल है ............
कुछ समय पहले ‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप’ ने कहा था, कि ‘भारत’ ‘रूस’ से तेल खरीद कर ‘रूस’ को आर्थिक फायदा पहुंचा रहा है. ‘भारत’ को बेचे जाने वाले तेल से ‘रूस’ को जो आर्थिक फायदा हो रहा है, ‘रूस’ उसका उपयोग ‘युक्रेन’ के विरुद्ध युद्ध करने में इस्तेमाल कर रहा है.
चूंकि लम्बे से ‘ट्रंप’ शासित ‘अमेरिका’ और ‘यूरोप’ के अधिकांश देशों का ‘गिरोह’ मिलकर भी ‘रूस’ का बाल बांका नहीं कर पा रहा है, इसलिए वे मिलकर अपनी खीझ दूसरों पर निकाल रहे हैं. ऐसे में उन्हें ‘चीन’ और ‘भारत’ अपने मार्ग की बड़ी बाधा के रूप में दिखाई दे रहे हैं.
इनका मानना है कि ‘भारत’ और ‘चीन’ जानबूझकर ‘रूसी तेल’ खरीदकर ‘रूस’ को आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं, जिसके कारण ही इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों की ‘रूस’ विरोधी कुटिल और अनैतिक चालें कामयाब नहीं हो पा रही हैं. यही कारण है कि ‘ट्रंप’ ने ‘भारत’ पर कई प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रतिबंध लगाए.
इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ‘भारत’ को आर्थिक व राजनितिक रूप से कमजोर करना है. वे चाहते हैं कि भारत को विभिन्न प्रकार से चोट पहुंचाकर उसे कमजोर किया जाए. वे भारत को बड़ा सबक सिखाने की फिराक में हैं. अपने इसी कुटिल उद्देश्य के तहत ‘डोनाल्ड ट्रंप’ ने ‘पाकिस्तान’ को भारत के विरुद्ध खुले आम समर्थन देने का काम शुरू कर दिया. यह 'ट्रंप' के ही कारनामें हैं कि 'पाकिस्तान' अब 'भारत' में आतंकी हमले कराने का दुस्साहस कर रहा है.
‘डोनाल्ड ट्रंप और उनका लुटेरा गिरोह गैंग’ यह जानता है कि वे सब मिलकर और चाह कर भी ‘चीन’ का बाल बांका कर नहीं सकते; इसलिए इस ‘गैंग’ ने ‘भारत’ को एक आसान लक्ष्य माना है.
दुनिया के सामने आज यह बिलकुल साफ़ है कि यदि ‘अमेरिका’ और यूरोप के कई ‘घटिया किस्म के ‘नेता’, ‘रूस’ अथवा किसी अन्केय देश के विरुद्ध कोई भी अनैतिक कार्य करते हैं, तो उनका पूरा ‘गैंग’ उसे जायज मानता है. लेकिन यदि दुनिया के ऐसे देश, जो इनके गैंग से सीधे ताल्लुख नहीं रखते, यदि वे अपनी स्वतंत्रता से अपने देश के आर्थिक व सामरिक हितों में निर्णय लेकर कार्य करते हैं और अपने देश का विकास करने का प्रयास करते हैं, तो उनके कार्य जायज हैं या नहीं, यह ‘डोनाल्ड ट्रंप और उनके लुटेरा गैंग’ के नेता तय करते हैं. यदि ऐसे देशों के निर्णय, इनके ‘गैंग’ के मनमाफिक नहीं होते, तो इनका ‘गैंग’ मिलकर ऐसे देश अथवा देशों के विरुद्ध कार्य करना प्रारंभ कर देता है. सबसे ताजा उदाहरण 'वेनुजुएला' और ‘बांग्लादेश’ का दुनिया के सामने है.
यदि एक अकेले 'रूस' के विरुद्ध, 'डोनाल्ड ट्रंप और उनका पूरा शातिर गैंग' इकठ्ठा होकर उसे नुकसान पहुँचाने का काम करे, तो इनके अनुसार उनका यह कार्य सर्वथा उचित व न्यायसंगत है; लेकिन किसी दूसरे 'देश,' अथवा 'देशो के समूह' को यह अधिकार कदापि नहीं है, कि वे किसी का साथ देने अथवा न देंने का निर्णय स्वयं से करें. यह विशेषाधिकार मात्र इसी गैंग को हासिल है.
‘डोनाल्ड ट्रंप और उनके लुटेरा गिरोह’ के काले कारनामे आज पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो रहे हैं; और उन्हें यह बात भी जल्द ही समझ में आने वाली है कि ‘रूस’ और ‘भारत’ से दुश्मनी की बड़ी कीमत उनके पूरे 'गिरोह' को चुकानी पड़ेगी ही.
This blog explains world politics in a very clear way. You have shown how big countries use double standards, and your points are very strong and easy to understand …👍
ReplyDeleteWell written. De dollarization is the future
ReplyDelete