Skip to main content

"डोनाल्ड ट्रंप" की हत्या का प्रयास - कोई साजिश या संयोग ?

नवम्बर – दिसम्बर 2023 में, अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने “निखिल गुप्ता” नाम के एक भारतीय नागरिक को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया, कि वह कनाडा में रह रहे खालिस्तानी अलगाववादी नेता `पन्नू’ की ह्त्या की शाजिश रच रहा है. वह भारतीय नागरिक, न तो उनके देश अमेरिका में था, और न ही उस व्यक्ति से अमेरिका के किसी भी नागरिक को खतरा था; फिर भी उसे `पन्नू’ जैसे अलगाववादी व्यक्ति की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. `पन्नू’ की कथित रूप से हत्या की साजिश रचने वाला भारतीय नागरिक एवं `पन्नू’ दोनों उनके देश के बाहर थे और दोनों उनके नागरिक भी नहीं हैं.

                                                    
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति `डोनाल्ड ट्रंप’ के ऊपर हुए जानलेवा हमले के प्रकरण में, अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों का जैसा आचरण दिखाई दिया, उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है, कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को अन्य देशों से जुडी बहुत सारी साजिशों की जानकारी करने में तो बड़ी दिलचस्पी रहती है, लेकिन अपने देश में क्या चल रहा है, उसे जानने में उनकी उतनी दिलचस्पी नहीं रहती. `डोनाल्ड ट्रंप’ पर हुए जानलेवा हमले की घटना से इस बात का भी अंदेशा है, कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारी / कर्मचारी अपने पदों एवं पॉवर का इस्तेमाल, अपने ही देश की राजनीति को प्रभावित करने में करने में लगे हों.

इस बात के कुछ बड़े स्पष्ट संकेत भी मिलते हैं, जिसके कुछ पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है. पहला यह, कि – या तो अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां, विदेशी गतिविधियों पर अधिक ध्यान बनाये रखने के कारण, अपने देश की सुरक्षा से समझौता कर रही हैं; और दूसरा यह, कि वे स्वयं ही किसी साजिश में सम्मिलित होकर `डोनाल्ड ट्रम्प’ को आने वाले चुनावों से पूर्व, चुनावी मैदान से बाहर करने में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से संलिप्त हैं.

यह बात जगजाहिर है कि `डोनाल्ड ट्रम्प’ एक ऐसे नेता हैं, जो देश एवं अन्तरराष्ट्रीय महत्व की संस्थाओं की उत्पादकता और उनके कार्य के मकसद के प्रति उनकी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय करने के प्रति अधिक गंभीर रहते हैं. वे ऐसी संस्थाओं एवं जिम्मेदार व्यक्तियों की उत्पादकता पर विशेष नजर बनाए रखते हैं, विशेषकर ऐसे क्षेत्रों से सम्बंधित संस्थाओं एवं लोगों पर, जिनका जिम्मेदारी सामाजिक हितों से जुड़े हुए कार्यों के प्रति अधिक होती है. इस सम्बन्ध में वे कड़े निर्णय भी लेते हैं, और समय – समय पर ऐसी एजेंसियों एवं लोगों को सार्वजनिक रूप से चेताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते.


 शायद उनका यह स्वभाव, एवं उनकी ऐसी कार्यशैली, वहां की सुरक्षा एजेंसियों एवं अन्य भी बहुत से शक्तिशाली स्वार्थी तत्वों को रास नहीं आ रहा थी, और उन्होंने साजिश के तहत `डोनाल्ड ट्रम्प’ को अपने रास्ते से हटाने के उद्देश्य से ही उन पर हमला करवाया, अथवा उन पर हमला होने दिया.

आखिर यह कैसे हो सकता है कि आप `कनाडा’ के एक नागरिक की सुरक्षा के प्रति अत्यधिक गंभीर हों, और सुदूर किसी ऐसे व्यक्ति की निगरानी रखने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हों, जिसका आपके देश से कोई ख़ास लेना देना ही न हो. परन्तु अपने ही देश के एक ऐसे नेता की हिफाजत के प्रति आप घोर लापरवाही बरत रहे हों, जो वहां की जनता के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय हो.

सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल इसलिए उठता है, क्यूंकि `ट्रम्प’ पर हमले से पूर्व, उन्हें सुनने आये लोगों में से बहुत से लोगों ने, हमलावर को समय रहते देख लिया था; और वे लोग, वहां तैनात (डोनाल्ड ट्रम्प की कथित सुरक्षा में) सुरक्षा कर्मियों को चिल्ला - चिल्ला कर यह बताने का प्रयास कर रहे थे, कि सामने छत पर कोई व्यक्ति बन्दूक के साथ मौजूद है. (*इस बात का प्रमाण इस लेख के अंत में दिया गया है)

वहां के सामान्य लोगों को तो संदिग्ध हमलावर व्यक्ति दिख गया, लेकिन सुदूर किसी देश में बैठे किसी कथित संदिग्ध व्यक्ति को देखने और पहचान करने के आदी उन सुरक्षा कर्मियों को, एकदम सामने मौजूद एक वास्तविक अपराधी दिखा ही नहीं, या यूँ कहें कि उन्हें वह बंदूकधारी कोई संदिग्ध व्यक्ति लगा ही नहीं.
 
सुरक्षा कर्मियों ने वहां के लोगों की बातों को पूरी तरह तब तक अनसुना किया, जबतक कि उस व्यक्ति ने अपना काम कर नहीं दिया – जब तक कि उसने `ट्रम्प’ पर गोली नहीं चला दी. इस घटना से तो यही स्पष्ट होता है, कि सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी प्लानिंग के तहत उस व्यक्ति को वह सब करने दिया.

आखिर यह कैसे हो सकता है कि `डोनाल्ड ट्रम्प’ को सुनने आये हुए बहुत से लोगों को तो हमलावर दिख गया, लेकिन जिनपर `डोनाल्ड ट्रंप’ की सुरक्षा का जिम्मा था, उन्हें ऐसा कोई आदमी वहां नहीं दिख रहा हो, वह भी लोगों के बार – बार बताने के बावजूद.

    सुरक्षा एजेंसियों ने हमलावर को ज़िंदा गिरफ्तार करने का प्रयास करने के बजाय, सीधे उसकी गोली मार कर तत्काल ह्त्या ही कर दी. इस कृत्य के पीछे एक अंदेशा यह भी है, कि हमलावर को तत्काल मौत के घाट इसलिए उतार दिया गया, जिससे कि आगे उससे कोई राज बाहर आने की सम्भावना न रहने पाए.


31 मई 2024 को, स्लोवाकिया देश के प्रधानमंत्री को गोली मारी गई, लेकिन उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने हमलावर को जान से नहीं मारा, बल्कि उसे ज़िंदा गिरफ्तार किया. इसी प्रकार से जापान के पूर्व प्रधानमंत्री `श्री शिंजो अबे’ को गोली मारने वाले व्यक्ति को सुरक्षा एजेंसियों ने ज़िंदा ही पकड़ा था, उसकी गोली मार कर ह्त्या नहीं की थी.

सुरक्षा एजेंसियों का पहला मकसद अपने नेता / विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, एवं किसी हमले की दशा में, हमले के पीछे की साजिश को पता करना भी होता है, जिससे हमले के असली मकसद का पता लगाया जा सके. यही कारण है कि हमलावर अथवा हमलावरों को ज़िंदा पकड़ने का प्रयास किया जाता है.

लेकिन अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने जो किया, उससे तो यही लगता है कि वे या तो स्वयं अथवा किसी / कुछ कुटिल शक्तिशाली व्यक्ति/व्यक्तियों के इशारों पर कार्य कर रहे थे, जो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की सत्ता में वापसी कदापि नहीं चाहते हैं. उन्हें `डोनाल्ड ट्रम्प’ को रास्ते से हटाना ही एक मात्र मार्ग नजर आया, क्यूंकि अमेरिकी जनता के बीच उनकी बढती लोकप्रियता यह दर्शा रही थी कि आगामी चुनावों में अमेरिका की अधिकतर जनता `डोनाल्ड ट्रंप’ के ही पक्ष में वोटिंग करने वाली है.
                                     

जो अमेरिका, दूसरे देशों में लोकतंत्र स्थापित करने के नाम पर खूनी खेल खेलता है, वह अपने ही देश के लोकतंत्र को मिटाने के प्रयासों को कुछ गलत नहीं मानता. यह कितनी बड़ी विडंबना है. सत्ता को प्रभावित करने वाले लोग, चुनावों में तो `ट्रंप’ को हरा नहीं सकते और लोकतन्त्र चलाने के नाम पर चुनावों को बंद नहीं करा सकते; इसलिए अपने मन माफिक व्यक्ति को सत्ता में वापसी कराने का उन्हें यह सबसे आसान रास्ता दिखा, कि प्रतिद्वंद्वी को ही रास्ते से हटा दिया जाए.

अमेरिका में इस प्रकार के कृत्य भी कुछ ऐसे बड़े कारणों में से एक हैं, जिससे पिछले कुछ दशकों से, वहां की आम जनता का लोकतंत्र से भरोसा उठ रहा है (**इस सम्बन्ध में सम्बंधित लेखों का लिंक नीचे संलग्न किया जा रहा है).

* https://www.jagran.com/world/america-donald-trump-rally-shooter-thomas-matthew-crooks-was-spotted-by-security-60-minutes-before-attack-says-us-investigative-agency-fbi-23768339.html 
(रायटर, वाशिंगटन। 30-july-2024 अमेरिका के पेनसिल्वेनिया प्रांत की जनसभा के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर फायरिंग करने वाला हमलावर युवक घटना से करीब एक घंटे पहले पुलिस की नजर में आ चुका था, लेकिन उसे वारदात से रोका नहीं जा सका। यह बात अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने कही है।)

Comments

Popular posts from this blog

अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्या लाभ ?

                                    श्री राम मंदिर   अयोध्या के विकास होने से वाकई में क्या लाभ होगा, इसे समझने के लिए इस लेख के अंत में कुछ चित्रों को देखिये जिससे आपको पता चलेगा कि धार्मिक टूरिज्म बढ़ने से उस क्षेत्र अथवा शहर में कितने बड़े बदलाव होते हैं ।   लेकिन सबसे पहले हम बात करते हैं अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के विषय में; कि अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण से ऐसे कौन से बड़े बदलाव अयोध्या एवं उसके आसपास के जनपदों में दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें उस क्षेत्र का हर व्यक्ति देख और महसूस कर रहा है । 1. जमीनों के मूल्य आसमान छू रहे हैं : आज अयोध्या की स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां के जमीनों के दाम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जमीनों के दामों से भी अधिक हो गए हैं ।  आज अयोध्या में भारत के लगभग होटल चेन, अपने – अपने होटलों के निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं या फिर वे वहां अपने होटल बनाने के लिए प्लान कर रहे हैं ।  हाल ही में टाटा ग्रुप ने अपने तीसर...

"ठेले वाली गिलहरी"। "राम काज" में सहयोग का मनोभाव।।

     अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपलक्ष्य में, मैंने भी अपनी कॉलोनी में एक सूक्ष्म पूजन कार्यक्रम करने का मन बनाया ।  मेरे साथ, मेरी ही कॉलोनी के सज्जन व्यक्ति भी पूरे उत्साह से सम्मिलित हुए । तय कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर, हम दोनों अगले दिन के कार्यक्रम हेतु प्रसाद की व्यवस्था करने के लिए, बाजार से जरूरी सामान खरीदने गए ।  जब मैं केले खरीदने को एक ठेले वाले दुकानदार के पास गया और उससे बड़ी संख्या में केले मांगे, तो वह समझ गया कि मैं अगले दिन के कार्यक्रम के लिए प्रसाद हेतु इतने अधिक केले मांग रहा हूँ । सारे केले देने के बाद, उसनें "पांच केले" मुझे अलग से दिए, और बोला कि भगवान श्री राम के कार्य हेतु मेरा भी एक छोटा सहयोग ले लीजिये । मैंने उसे ऐसा करने से मना किया और कहा  – तुम अपना नुकसान क्यूँ कर रहे हो ? इसकी कोई आवश्यकता नहीं है । लेकिन वह विनय भाव से मुझसे बोला – “मुझे मना मत करिए साहब, भगवान राम के कार्य के लिए मेरी ओर से भी, मेरा यह छोटा सा सहयोग ले लीजिये, मैं भी उनकी पूजा में भागीदार बनना चाहता हूँ।" मैं चाह कर भ...

पैसों के निवेश हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

भारतीय समाज में आज भी अधिकतर लोगों में धन के निवेश को लेकर अपेक्षित ज्ञान व समझ की कमी है. जिन लोगों के पास धन के नियमित स्रोत हैं, अथवा जिनके पास कहीं से एक मुस्त धन प्राप्त होता है (जैसे रिटायरमेंट के बाद मिला हुआ धन/पैतृक संपत्ति अथवा इन्सुरेंस इत्यादि से प्राप्त हुआ धन) वे अपने धन को सुरक्षित रखते हुए उससे बेहतर लाभ प्राप्त करने हेतु उचित स्थान पर निवेश के मार्ग तलाशते हैं. इस तलाश में उनके सबसे बढे सलाहकार उनके अपने कुछ करीबियों साथी / रिश्तेदार ही होते हैं, और वे उन्हीं की सलाह के अनुसार अपने धन का निवेश करते हैं. बहुत से लोगों के कुछ रिश्तेदार, अथवा करीबी ऐसे भी होते हैं, जो कुछ बीमा कंपनियों में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहे होते हैं; ऐसे कमीशन एजेंट हमेशा ऐसे ही लोगों की तलाश में रहते हैं, जिनके पास धन के कोई नए स्रोत बने हों अथवा जिन्हें कहीं से बड़ा धन अचानक प्राप्त हुआ हो. उदाहरण के तौर पर - जिसकी नई नौकरी लगी हो, किसी बीमा का पैसा मिला हो, रिटायरमेंट के उपरान्त फंड इत्यादि का पैसा मिला हो अथवा पैतृक संपत्ति से बड़ा धन प्राप्त हुआ हो इत्यादि. ये कमीशन एजेंट्स, ऐसे लोगों...

हिट एंड रन कानून और ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल

हाल ही में, केंद्र सरकार ने “हिट एंड रन” कानून के तहत होने वाली सजा में कुछ परिवर्तन करके, एक नया संशोधित कानून प्रस्तुत किया है. परन्तु इस लेख के लिखे जाने तक (दिनांक 02-01-2023) यह कानून लागू नहीं किया गया है. फिर भी इस नए कानून में दिए गए प्रावधानों के विरोध में, भारत के कई हिस्सों के ट्रक चालकों ने हड़ताल शुरू कर दी है.                                                    इस संशोधित कानून के तहत, यदि कोई वाहन चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए, अपनी गाड़ी द्वारा किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है और उसके बाद वह वाहन चालक, पुलिस अथवा सम्बंधित अधिकारियों/संस्थानों को सूचित किये बगैर फरार हो जाता है, तो अब उसे “दस वर्ष तक का कारावास” एवं “7” लाख रूपये तक का जुर्माना” भरना पड़ सकता है. पूर्व के कानून में इस प्रकार की घटना के बाद अधिकतम “दो वर्षो” के कारावास का प्रावधान था. इस मुद्दे पर यह समझना आवश्यक है कि इस प्रकार की किसी दुर्घटना होने पर वाहन चालक, घटना वाली ...

महबूबा मुफ़्ती का 'हमास' प्रेम

                                                    “महबूबा मुफ़्ती” ने ‘अमेरिका’ के ‘लास एन्जलेस’ में, जंगल की आग से हो रहे बड़े पैमाने पर संपत्ति के नुकसान के बहाने, गाजा का मुद्दा उठाया है. “महबूबा मुफ़्ती” के मुताबिक़ ‘गाजा’ में, ‘इजराइल’ की ओर से की जा रही सैन्य कार्यवाही से हो रहे जान माल के नुकसान के पीछे ‘इजराइल’ दोषी है. खैर “महबूबा मुफ़्ती” जैसे लोगों से इसी प्रकार के बयानों की अपेक्षा है. वे भारत के अधिकतर लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में कभी कोई चूक नहीं करती हैं. उनके ईमानदारी की दाद देनी पड़ेगी, कि वे कभी भी लोगों के बीच भ्रम उत्पन्न करने की कोई गलती नहीं करतीं; जिससे कि लोग किसी क्षण यह महसूस करने लग जायें कि “महबूबा मुफ़्ती” में कोई आत्म परिवर्तन होने लगा है.   “महबूबा” ने कभी भी ‘हमास’ को यह सुझाव देने की जहमत नहीं उठाई, कि वह ‘इजराइल’ के ‘बंधक नागरिकों’ को अपने चंगुल से छोड़ दे; जिससे इजराइल द्वारा की जाने वाली सैन्य कार्यवाही को रोकने का को...

वर्ष 2024 के अमेरिकी चुनाव की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के सन्देश

        कुछ समय पूर्व ही अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव संपन्न हुए. जो लोग इस चुनाव के परिणामों एवं चुनाव के दौरान होने वाली विभिन्न घटनाओं को लेकर जिज्ञासु थे, उनके लिए यह चुनाव बड़ा दिलचस्प रहा. जिन्हें इस बार के चुनाव में दिलचस्पी रही, उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई विभिन्न घटनाओं का अपने – अपने नजरिये से विश्लेषण किया और उसी के अनुरूप निष्कर्ष भी निकाले.   इस चुनाव के अंतिम परिणाम के प्रति मेरे अंदर भी बड़ा उत्साह था. बहुत से लोगों की भाँति मैं यही चाहता था, कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति "डोनाल्ड" ट्रंप ही बनें. और अंततः वे ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में चुने गए. इस चुनाव के दौरान घटित कुछ घटनाओं ने मुझे बड़ा प्रभावित किया. उनमें से जिन घटनाओं ने मुझे प्रभावित किया, उनमें से प्रमुख घटनाओं का मैं यहाँ उनका जिक्र कर रहा हूँ. कुछ वर्षों पूर्व तक, मैं इस पूर्वाग्रह से ग्रसित था कि “हमारे भारतीय नेताओं एवं यहाँ के सामान्य जन मानस” का चुनावी दृष्टिकोण बड़ा ही सीमित होता है, जबकि विकसित देशों के लोग बड़ा विशाल और उदार दृष्टिकोण रखते हैं. वे अपने ...

फारुख अब्दुल्ला द्वारा 'मानवता' शब्द का अपनी सुविधानुसार प्रयोग

".....‘फारुख अब्दुल्ला’ ने काश अपने पाकिस्तानी साथियों को तब भी ‘मानवता के धर्म’ के पालन की सलाह दी होती, जब पाकिस्तानी सरकार अपने देश में पिछले कई दशकों से बसे हुए ‘अफगानों’ को वापस उनके मूल देश अफगानिस्तान भेज रही थी ...."

"पाकिस्तान और मोहम्मद गोरी" के कृत्यों में समानता - भारत को यह सुअवसर खोना नहीं चाहिये

............भारत विभाजन के बाद से ही हम पाकिस्तान के लगभग हर वार का मात्र तात्कालिक जवाब देकर उसे हर बार छोड़ दिया करते हैं; लेकिन वह अपनी हरकतों पर विराम लगाने को तैयार नहीं है. यह वैसा ही है जैसा मोहम्मद गोरी लगातार पृथ्वीराज चौहान पर हमले करता रहता था, और हर बार पृथ्वीराज चौहान उसे भाग जाने देते थे. परन्तु इसका अंत में क्या परिणाम हुआ यह सभी को पता है.  यदि पृथ्वीराज चौहान, मोहम्मद गोरी के दूसरे हमले पर ही उसका अंत कर दिए होते तो भारत का इतिहास कुछ और ही होता. इसलिए यदि पाकिस्तान को अभी नहीं रोक दिया गया तो भविष्य में भारत को भी पृथ्वीराज जैसा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है; क्योंकि पाकिस्तान मो0 गोरी की भांति भारत पर निरंतर हमले जारी रख रहा है ......

"ऑपरेशन सिन्दूर" की सफलता हेतु मोदी जी और भारत की सुरक्षा में लगे हुए सभी राष्ट्रभक्तों को धन्यवाद

...आज की सैन्य कार्यवाही से भारत ने पाकिस्तान की रक्षा मजबूती का आकलन तो कर ही लिया, परन्तु भारत को इतिहास से सबक लेते हुए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे शत्रु को बार – बार हरा कर छोड़ देना उचित नहीं होगा; जैसा कि पृथ्वी राज चौहान ने मोहम्मद गोरी के साथ किया था. इसकारण पाकिस्तान को इस हालत में पहुंचा दिया जाए कि उसकी आने वाली कई -कई पीढियां भी कभी भारत के बारे में बुरा सोचने तक की हिम्मत न कर सके...