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अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्या लाभ ?

                                   श्री राम मंदिर 

अयोध्या के विकास होने से वाकई में क्या लाभ होगा, इसे समझने के लिए इस लेख के अंत में कुछ चित्रों को देखिये जिससे आपको पता चलेगा कि धार्मिक टूरिज्म बढ़ने से उस क्षेत्र अथवा शहर में कितने बड़े बदलाव होते हैं 
लेकिन सबसे पहले हम बात करते हैं अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के विषय में; कि अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण से ऐसे कौन से बड़े बदलाव अयोध्या एवं उसके आसपास के जनपदों में दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें उस क्षेत्र का हर व्यक्ति देख और महसूस कर रहा है

1. जमीनों के मूल्य आसमान छू रहे हैं : आज अयोध्या की स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां के जमीनों के दाम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जमीनों के दामों से भी अधिक हो गए हैं आज अयोध्या में भारत के लगभग होटल चेन, अपने – अपने होटलों के निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं या फिर वे वहां अपने होटल बनाने के लिए प्लान कर रहे हैं हाल ही में टाटा ग्रुप ने अपने तीसरे होटल के लिए अनुबंध किया है, उनके दो होटल पहले से ही निर्माण की प्रक्रिया में हैं। ओबेरॉय और हयात ब्रांड के होटल वहां निर्माणाधीन हैं बहुत से लोग, जिनके पास मंहगी जमीने खरीदने के लिए धन है, वे भी वहां पर नए – नए स्थानों पर जमीनें खरीदने में लगे हैं; जिससे भविष्य में वे उनपर होटल अथवा रेस्टोरेंट इत्यादि बनाकर अच्छी एवं निश्चित आमदनी का एक अतिरिक्त स्रोत बना सकें इन सब कारणों से वहां की जमीनों के मूल्य कई गुना बढ़ चुके हैं 
अयोध्या के मुख्य शहर में जमीनों के मूल्य 10000 रु0 प्रति स्कवायर फीट के इर्द गिर्द हैं, अथवा उससे भी अधिक हो चुके हैं जिनके पास अयोध्या में जमीनें हैं, आज वे सभी अपने को धनी मान चुके हैं राम मंदिर पर कोर्ट के फैसले से पूर्व अयोध्या में जिनके पास बड़ी बड़ी जमीने भी थीं उनमें से अधिकतर लोग आर्थिक रूप से बड़े कमजोर थे। परन्तु राम मंदिर पर कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही वे अपने को धनी समझने लगे और मात्र कुछ ही दिनों के भीतर ही वे धनी हो भी चुके हैं। 
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के निवासियों की आय बढ़ाने और अयोध्या आने वाले पर्यटकों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 'होम - स्टे' की व्यवस्था की है; जिससे वहां के स्थानीय निवासी अपने घरों के कुछ कमरों को 'होम-स्टे' में बदलकर उनसे अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकें।
वर्तमान में अयोध्या के बहुत से गृह स्वामी, अपने घरों के कुछ कमरों को पर्यटकों को किराए पर देकर रोजाना 1500 - 2500 रू0 की आमदनी प्रति कमरा प्राप्त कर रहे हैं, जो उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके पूर्व अयोध्या में बड़ी - बड़ी मंदिरें व घर इत्यादि बड़ी संख्या में थे, लेकिन उनके अधिकांश खाली पड़े कमरों का कोई उपयोग नहीं था; परन्तु अब वे सारे खाली कमरे अपने मकान मालिकों के लिए अच्छी खासी आमदनी का जरिया बन चुके हैं।
मैंने ऐसे भी बहुत से बड़े - बड़े आकार के घरों के मालिकों को देखा था जो इस दौर से पूर्व अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते थे और बड़ी मुश्किल से अपने घर - परिवार का खर्च वहन कर पाते थे। परन्तु अचानक जैसे उन सब की एक साथ लॉटरी लग गई है, वे सभी अब धनवान बन चुके हैं।

2. दुकानदारों के सामानों की बिक्री : राम मंदिर बनने का फैसला आने के बाद स्थिति ऐसी हुई है, कि एक सामान्य दुकानदार, अपनी दुकान से जितना सामान एक वर्ष में बेंच पाता था, उसका उतना सामान आज मात्र एक सप्ताह में ही बिक रहा है

3. रोजगार : आज बाहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आ रहे हैं, ऐसे में जिन युवाओं के पास अभी तक कोई रोजगार नहीं था, जो रोजगार के लिए भटक रहे थे, ऐसे युवा आज अयोध्या में स्वतंत्र रूप से गाइड के रूप में काम कर रहे हैं और रोजाना अच्छा पैसा कमा रहे हैं होटल, रेस्टोरेंट इत्यादि के सेक्टर में बाढ़ आई हुई है बड़ी संख्या में होटलों के निर्माण से न केवल निर्माण क्षेत्र से सम्बंधित बहुत से व्यापार, जैसे सरिया, सीमेंट, मोरंग, बालू इत्यादि की खपत में बढ़ोतरी हुई है बल्कि उन कंपनियों के उत्पादों की मांग भी बढ़ गई है जो इन उत्पादों का उत्पादन करती हैं इस प्रकार के उत्पादों को बेचने वाले दुकानदारों, होल सेलर्स इत्यादि का मुनाफ़ा तीन से चार गुना तक बढ़ गया है बहुत से होटल, रेस्टोरेंट इत्यादि के बनने से उनमें काम करने के लिए कर्मचारियों एवं कारीगरों इत्यादि की मांग भी बढ़ गई है, जिससे न केवल अयोध्या के ही, बल्कि आस पास के जिलों के भी युवाओं को भी बड़ी संख्या में नौकरियां मिल रही हैं, जो अभी तक दुर्लभ हुआ करती थीं 
आर्किटेक्चर क्षेत्र से जुड़े हुए पेशेवरों की मांग बढ़ गई है अभी तक वे छोटे – बड़े सामान्य घरों और छोटी - बड़ी दुकानों इत्यादि की डिजाइनें ही तैयार किया करते थे, जिनके आर्डर सीमित हुआ करते थे और उनसे उन्हें पैसा भी बेहद कम मिला करता था परन्तु आज विविध प्रकार के प्रोजेक्ट स्वरुप ले रहे हैं अथवा लेने को हैं देश के कोने – कोने से व्यवसाई नए – नए भवन, धर्मशालाएं, धार्मिक लिहाज से उपयोगी भवनों, पार्कों इत्यादि का निर्माण कराने की ओर अग्रसर हैं, इसके कारण आर्किटेक्चर के पेशेवरों की मांग एवं उनकी आमदनी दोनों ही बहुत बढ़ गई है
 

वर्तमान से लेकर भविष्य की यदि बात करें - अर्थव्यवस्था पर शोध करने वाली विश्व की तमाम शोध एजेंसियां यह दावा कर रही हैं कि अयोध्या में प्रतिवर्ष 7 से 10 करोड़ लोग आयेंगे यह आंकड़ा किसी भी अन्य धार्मिक स्थल के मुकाबले सबसे अधिक होगा भगवान् श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन ही 5 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे जोकि उनके दावे को सही ठहराता है यदि शोध एजेंसियों के अनुमान को ही  मान कर अयोध्या की अर्थव्यवस्था की प्रगति के बारे में हम आकलन करें, तो रोजाना अयोध्या आने वाले लोगों को रुकने के कम से कम 50000 कमरे चाहिए यदि औसतन एक होटल में उपलब्ध कमरों की संख्या को 20 माना जाए तो अयोध्या में कम से कम 2500 होटलों की आवश्यकता होगी ऐसे में इन होटलों के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारिओं की जरूरत पड़ेगी जिससे सीधे तौर पर नौकरियों का सृजन होगा अयोध्या में बहुत से रेस्टोरेंट खुलेंगे, जिनके संचालन हेतु भी बड़ी संख्या में खाना बनाने वाले कारीगरों से लेकर वेटर्स एवं सफाई कर्मचारियों इत्यादि की आवश्यकता होगी
आने वाल समय में बड़ी संख्या में होटलों, रेस्टोरेंट्स इत्यादि के निर्माण में बड़ी संख्या में राज मिस्त्रियों, कुशल कारीगरों एवं साधारण श्रमिकों को भी रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध होंगे अयोध्या एवं उसके आस पास के कुछ जिलों से बड़ी संख्या में कुशल एवं साधारण श्रमिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोजगार की तलाश में आते हैं, परन्तु अब उन्हें अयोध्या में ही रोजगार उपलब्ध होगा 
बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं साधारण पर्यटक, अयोध्या पहुँचने के लिए हवाई जहाजों, बसों, ट्रेनों एवं निजी गाड़ियों का उपयोग करेंगे जिससे इस उद्द्योग से जुडी सभी प्रकार की व्यावसयिक गतिविधियों में बड़ा तीव्र विकास देखने को मिलेगा अयोध्या के भीतर भी श्रद्धालुओं एवं सामान्य टूरिस्टों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने जाने हेतु कई प्रकार के वाहनों की आवश्यकता होगी, जिससे बड़ी संख्या में यात्री वाहनों की बिक्री होनी तय है ऐसे में हजारों लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा ओला, ऊबर, रैपिड़ो जैसी कम्पनियाँ भी अपना व्यवसाय अयोध्या में शुरू करेंगी, जिससे उन कंपनियों का तो मुनाफा बढ़ेगा ही, साथ ही बहुत बड़ी संख्या में लोग स्वरोजगार भी पायेंगे कुल मिलाकर अयोध्या में सीधे तौर पर कम से कम 50000 - 60000 लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में सीधे नौकरियां हासिल होंगी एवं 130000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध होगा इस प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियों से बड़ी संख्या में लोगों की आमदनी में बड़ी बढ़ोतरी तय है            
 

4. मिठाईयों की खपत बढ़ रही हैं क्यूंकि हनुमान गढ़ी में हनुमान जी को प्रसाद के रूप में लड्डू ही मुख्यतः चढ़ता है अयोध्या में हजारों मंदिरें जिनमें भोग एवं प्रसाद के लिए लड्डू इत्यादि में प्रयुक्त होने वाली सभी प्रकार की सामग्रियों की मांग बढ़ रही है

5. किसानों को बड़ा अवसर मिला है, कि वे बड़ी मात्रा में विविध प्रकार के फूलों इत्यादि का उत्पादन करें, क्यूंकि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से फूलों की खपत बढ़ चुकी है और आगे यह और भी तेजी से बढ़ेगी। 
यह तो मात्र कृषि के एक आयाम की बात है, पर्यटकों की संख्या बढ़ने से कृषि के विभिन्न उत्पादों की खपत भी बढ़ेगी क्योंकि जब बड़ी संख्या में धार्मिक पर्यटक अयोध्या में आयेंगे, तो उन्हें खाने पीने के विभिन्न उत्पाद भी चाहिए होंगे। ऐसे में किसानों के खाद्यान्न, सब्जियों, फलों, दूध एवं दुग्ध उत्पादों इत्यादि की खपत भी वर्तमान की तुलना में कई गुना बढ़ जाएगी; जिससे अयोध्या एवं उसके आसपास के जनपदों के किसानों के उत्पादों का बाजार भी बढ़ेगा और उनके उत्पादों के मूल्य भी अच्छे मिलने की सम्भावना बढ़ेगी।

6. सरकार का राजस्व : जब बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं और व्यवसाइयों की आमदनी बढती है, तो सरकार को उसी के अनुरूप टैक्स के रूप में राजस्व भी प्राप्त होता है वर्तमान से लेकर आगे आने वाले समय में अयोध्या में सीमेंट, स्टील, मोरंग, बालू, टाइल्स, नल, पाइपों, यात्री वाहनों, पेट्रोल, बिजली, फर्नीचर इत्यादि के उत्पादों की बड़ी खपत होनी तय है, अतः इन उत्पादों के निर्माण से जुडी कंपनियों एवं उद्द्योगों की आमदनी भी बढ़ेगी जैसे - जैसे कंपनियों एवं उद्द्योगों की आमदनी में वृद्धि होती जायेगी सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व भी प्राप्त होता रहेगा 
जमीनों के मूल्य बढ़ने से, उनकी खरीद फरोख्त के दौरान इस्तेमाल होने वाले स्टाम्प की बिक्री भी बड़ी संख्या में होगी जिससे भी सरकार को भारी मात्रा में राजस्व प्राप्त होना तय है; वर्तमान में भी सरकार को इस मद में बड़ा राजस्व प्राप्त हो रहा है, क्यूंकि पिछले तीन वर्षों में अयोध्या की जमीनों के मूल्य काफी बढ़ चुके हैं 
 

विश्व के विभिन्न धर्मों एवं पंथों को मानने वाले लोगों की यदि जनसंख्या की बात की जाए, तो पूरे विषय में इसाई पंथ को मानने वाले लगभग 2.38 अरब लोग हैं, मुस्लिम धर्म / पंथ को मानने वाले लगभग 1.8 अरब लोग हैं एवं इनके बाद सर्वाधिक जनसंख्या हिन्दू धर्म को मानने वालों की है, जोकि 1.2 अरब है हिन्दू धर्म के अनुयाई मुख्यतः नेपाल (80.6%,), भारत (78.9%), मोरिशस (48.5%), फिजी (27.9%), गुवाना (24%), भूटान (22.5%), ट्रिनीडैड एंड टोबागो (22.3%) और सूरीनाम (18.3%) देशों में हैं

इसाई पंथ का मुख्य धार्मिक स्थान वेटिकन सिटी है वहीँ मुस्लिमों का मुख्य धार्मिक स्थान मक्का और मदीना है, और इन दोनों धर्मों के शहर, समृधि के बहुत ऊंचे पायदान पर हैं परन्तु विश्व में तीसरा स्थान रखने वाले हिन्दू धर्म का जो सबसे प्रमुख स्थान अयोध्या है, उसकी स्थिति आज से पहले बड़ी दयनीय थी आजादी के बाद धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भारत का विभाजन हुआ परन्तु विभाजन के बाद भारत में जो सरकार बनी उसने हिंदू धर्म, उसकी मान्यताओं एवं भारतीय संस्कृति के प्रति लगभग कोई सम्मान नहीं दिखाया, और यदि कहीं दिखाया भी, तो वह मात्र राजनीतिक एवं सामाजिक मजबूरी वशफलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर, देश की सभी सत्ताओं द्वारा हिन्दुओं के सबसे प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थान का घोर निरादर किया गया और अयोध्या के साथ सौतेले से भी सौतेला व्यवहार किया गया

अभी तक जब अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात उठती थी, तो विरोधी इस बात की वकालत करते थे, कि वहां मंदिर की क्या आवश्यकता है? वहां कोई अस्पताल या स्कूल बनवा दिया जाना चाहिये कईयों नें तो श्री राम मंदिर के बारे में बड़ी ही निंदनीय बातें कहीं हैं और आज भी कहते आ रहे हैं

परन्तु क्या उसी स्थान पर अस्पताल अथवा स्कूल बनवाने से, इतनी बड़ी संख्या में रोजगार, नौकरियों, व्यवसाय के क्षेत्र में प्रगति होती, जितनी आज अयोध्या में हो रही है यदि किसी प्रमुख धार्मिक स्थान पर ही अस्पताल अथवा स्कूल बनवाने से बड़ा विकास होना तय होता; तो हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि - आधुनिक विश्व के बड़े से बड़े वैज्ञानिक, चिन्तक, दार्शनिक एवं विद्वान इत्यादि, मुख्यतः इसाई समुदाय से ही हुए हैं; यदि ऐसी बातों में कोई सच्च्चाई अथवा वास्तविकता होती, तो कायदे में ऐसे बुद्धिजीवियों को यह बात पहले ही समझ में आ जानी चाहिए थी कि सभी प्रमुख धार्मिक स्थानों पर अस्पताल एवं स्कूल बनवा देने से चहुँ ओर विकास की गंगा बह जाती है; और उन्हें इसके पक्ष में सरकार एवं समाज को सलाह देना चाहिए था कि वेटिकन सिटी में स्थित धार्मिक स्थान को हटाकर वहां अस्पताल एवं स्कूल का निर्माण कर देना चाहिए परन्तु किसी बुद्धिजीवी को ऐसा कुछ भी नहीं लगाउन बुद्धिजीवियों ने ऐसा कोई आचरण नहीं किया जिससे धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों के मन को ठेस पहुंचे। चूँकि कोई भी नेक नियति वाला बुद्धिजीवी, इस प्रकार की बातों में कोई सच्च्चाई नहीं पाता, इसलिए वह ओछी बातें नहीं करता

जो लोग अयोध्या में राम मंदिर के स्थान पर अस्पताल और शिक्षण संस्थानों को बनवाने की वकालत करते हैं, उन्हें पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए; कि उत्तर में जब उनकी अथवा उनके विचारधाराओं वाली सरकारें थीं, तो पूरे उत्तर प्रदेश में उन्होंने कितने मेडिकल कॉलेज बनवाये, और यहाँ की शिक्षा व्यवस्था में कौन से महत्वपूर्ण सुधार किये ? जहाँ तक वे शिक्षा की बात करते हैं, तो उनकी अथवा विचारधारा वाली सरकारों ने तो उत्तर प्रदेश के शिक्षण संस्थानों का इतना बुरा हाल कर रखा था, कि उन्हें खुद ही अपने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर संदेह रहता था, और यही कारण था कि ऐसी विचारधारा के अगुवा बनने वाले कई प्रमुख नेताओं ने अपने बच्चों को उत्तर प्रदेश में पढ़ाना तो छोड़िये, उन्होंने उन्हें भारत किसी भी संस्थान से पढ़ाना उचित नहीं समझा। उन्होंने अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेजा और इस बात पर गर्व भी किया कि उनका बच्चा विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने गया है। उन्हीं नेताओं के शासन काल में प्रदेश में नकल और नकल माफिया की एक संस्कृति बनी हुई थी। यह योगी आदित्यनाथ ही हैं जिन्होंने सत्ता में आते ही उत्तर प्रदेश की सभी बोर्ड परीक्षाओं को CCTV की देखरेख में कराना शुरू किया और नकल विहीन परीक्षा कराने में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।
आज जिनके नेतृत्व में श्री राम मंदिर बन रहा है उन्होंने ने ही उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक मेडिकल कॉलेज बनवाये हैं वह भी बड़े कम समय के भीतर. उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में, जब उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया तो उन्होंने सबसे पहले जो कार्य किये, उनमें से “एक जनपद – एक मेडिकल कॉलेज” सबसे प्रमुखता में था। उन्होंने स्कूलों का कायकल्प भी किया। उनके पूर्व की सत्ताओं के समय प्राइमरी के बच्चे टाट पट्टी पर बैठने को मजबूर थे, स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं थी। आज उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी स्कूल में जाकर देखिये, सभी में सारी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफ़लाइटिस नामक बीमारी से हर वर्ष सैकड़ों और हजारों बच्चों की जान चली जाया करती थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ से पूर्व का कोई भी मुख्यमंत्री विशेषकर राम मंदिर के विरोधी सत्ता वाले; कभी इस बात की चिंता नहीं करते थे कि वहां के बच्चों को कैसे बचाया जाए। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही इस बीमारी को लगभग जड़ से ही ख़त्म कर दिया है। व्यापक टीकाकरण और साफ़ सफाई के कारण आज यह बीमारी खुद ही अंतिम साँसे ले रही है।
जिस व्यक्ति का अपना स्वयं का कोई व्यक्तिगत परिवार नहीं है, वही व्यक्ति दूसरों के बच्चों के जान की फ़िक्र कर रहा है। मात्र योगी आदित्यनाथ ने ही उच्च संवेदनशीलता का परिचय देते हुए, अपने व्यक्तिगत प्रयासों से उस बीमारी से हजारों बच्चों की जान बचाई है।
   

इसलिए आज जो मंदिर बनवा रहे हैं वे ही बच्चों के साथ - साथ सामान्य नागरिकों की भी जान बचा रहे हैं और अनेकों जरूरतमन्द लोगों को घर, शौचालय भी दे रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश में 30 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज कार्य करना शुरू कर चुके हैं। आजादी से लेकर योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने से पूर्व तक, उत्तर प्रदेश में मात्र 17 मेडिकल कॉलेज ही संचालित थे, वहीं योगी आदित्यनाथ ने मात्र पांच वर्षों के अपने कार्यकाल में 30 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज बनवाये, और आज उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में मेडिकल कॉलेज या तो स्थापित हो चुके हैं अथवा उनके निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। अतः जो मंदिर बनवा रहे हैं उन्होंने अस्पताल, स्कूल और एम्स भी बनवाये। मुख्यमंत्री बनने से पूर्व, योगी आदित्यनाथ ने मात्र एक सांसद की हैसियत से ही, गोरखपुर में एम्स का निर्माण शुरू करा दिया था।

आज जो लोग किसी प्रमुख मंदिर के स्थान पर अस्पताल और स्कूल की वकालत करते हैं, कायदे में उन्हें अपने ऐसे दिव्य ज्ञान का प्रसार मुस्लिम समुदाय के बीच भी करने की हिम्मत दिखानी चाहिए। उन्हें मुस्लिम समुदाय के सामने अपनी दलीलें देनी चाहिए, कि मुस्लिम समुदाय अपने सबसे प्रमुख धार्मिक स्थान की जगह पर अस्पताल अथवा स्कूल बनवा दें। लेकिन मुझे उनकी नियत और उनके साहस पर पूर्ण भरोसा है कि वे ऐसा कर ही नहीं सकते।
इस मामले में ऐसे लोगों की संख्या अच्छी खासी है जो अपने आपको ऊपर से तो नास्तिक बताते हैं लेकिन धार्मिक मामलों में वे मात्र हिन्दू धर्म एवं उससे जुडी महान परम्पराओं का निरदार, अपमान और बदनाम करने का ही कार्य करते हैं ऐसे लोगों को नास्तिक नहीं, बल्कि बदनीयति से ग्रस्त लोग कहा जा सकता है। परन्तु इनमें से यदि कोई वाकई में नास्तिक है भी, तो भी उसे कोई अधिकार नहीं है कि वह किसी धर्म को मानने वाले को बुरा भला कहेयदि उसकी आस्था श्री राम में अथवा किसी भी अन्य धर्म या देवी देवता में नहीं है, तो इसमें कोई बुराई नहीं हैपरन्तु किसी आस्थावान व्यक्ति के लिए ऐसी कोई भी दलीलें देना, जिससे उनकी भावनाएं आहत हों, यह कदापि उचित नहीं ठहराया जा सकता जो लोग अपने को नास्तिक बताकर राम मंदिर एवं हिन्दू धर्म का मुखर विरोध करते हैं असल में उनमें से अधिकतर या तो अज्ञानी हैं अथवा वे अपने व्यक्तिगत, जातिगत, धार्मिक एवं राजनीतिक संकीर्णता का परिचय देते हैं 
जिन्हें मंदिर चाहिए था, वे मंदिर बनवा रहे हैं. जिन्हें नहीं चाहिये, उन्हें तकलीफ भी नहीं होनी चाहिए कायदे मैं तो ऐसे लोगों को अपनी दुनिया में मगन रहना चाहिए। जो विरोध कर रहे थे वे हर स्तर पर हार का सामना कर चुके हैं और अपने मुंह की खा चुके हैं 

आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर सरकारी धन से नहीं बन रहा है श्री राम मंदिर का निर्माण श्रधालुओं के दिए हुए दान से ही हो रहा है जहाँ तक अयोध्या में हो रहे विकास कार्यों पर सरकारी धन के उपयोग की बात है, तो सरकार ऐसे प्रत्येक क्षेत्र पर धन खर्च करती है, जहाँ उसे यह उम्मीद होती है कि वहां के लोगों का जीवन बेहतर बनेगा

अयोध्या में देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं पर्यटक आना शुरू कर चुके हैं, जिससे वहां भीडभाड बहुत अधिक बढ़ने लगी है अतः बाहर से आने वाले लोगों के दबाव को काबू करने के लिए सरकार के लिए यह आवश्यक है कि बाहर से जो भी श्रद्धालु अथवा पर्यटक आयें, वे अयोध्या में सुखद अहसास कर सकें, न कि वे वहां पर भीड़, ट्रैफिक और अव्यवस्था से ही जूझते रहें। जब वे वहां अच्छी व्यवस्था देखेंगे तो वापस अपने देश, शहर अथवा गाँव जाने के बाद वे अन्य लोगों को भी अयोध्या जाने को प्रेरित करेंगे इससे भविष्य में वहां पर बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते रहेंगे अतः सरकार अपना धन वहां की जर्जर आधारभूत ढाँचे को अच्छा, सुन्दर और उपयोगी बनाने में लगा रही है वहां की मृतप्राय पड़ी विरासतों को संरक्षित एवं विकसित किया जा रहा है और उन्हें सुंदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है जब बड़ी संख्या में घूमने वाले स्थान विकसित होंगे तो बाहर से आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक, अयोध्या में कुछ दिनों के लिए रुकेंगे भी; जिससे वहां की निर्माण, होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट, गाइड इत्यादि के उद्द्योग में वृद्धि होगी। जिसके परिणामस्वरुप वहां के लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार, नौकरियों एवं कमाई के साधनों की वृद्धि होगी, साथ ही सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व भी प्राप्त होगा 
आज सरकार अयोध्या में जितना धन खर्च कर रही है उससे अधिक उसकी आमदनी होने वाली है उत्तर प्रदेश सरकार को अयोध्या में, मात्र जमीनों के क्रय विक्रय से ही सैकड़ों करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है पिछले तीन वर्षों में ही सरकार को 600 करोड से अधिक का राजस्व, मात्र स्टाम्प की बिक्री से ही प्राप्त हो चुका है अतः आज उत्तर प्रदेश सरकार, जो सरकारी धन अयोध्या के विकास के लिए खर्च कर रही है, वह सरकारी धन का व्यय नहीं, बल्कि एक ऐसा निवेश है जो आम लोगों के साथ ही सरकार को भी धनवान बना रहा है और आगे यह निवेश सरकार सहित सभी हितधारकों को और भी धनवान बनाएगा  
 

बड़ी संख्या में रोजगार उत्पन्न करने में टूरिज्म एक बड़ा महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं बहुत से देशों की अर्थव्यवस्था मात्र टूरिज्म पर ही निर्भर है और वे बहुत धनवान भी हैं इसका बड़ा उदाहरण है - दुबई दुबई में आज पर्यटन सबसे बड़ा उद्द्योग हैं वहां की सरकार ने वहां के आधारभूत ढाँचे को विश्वस्तरीय बनाया है जिससे पूरे विश्व के टूरिस्ट वहां आने को लालायित रहते हैं बड़ी संख्या में टूरिस्टों के पहुँचने से वहां के स्थानीय निवासियों की आय बढ़ गई है, बड़ी संख्या में नौकरियां और रोजगार के अवसर वहां उपलब्ध हैं, साथ ही सरकार को भी बड़ा राजस्व प्राप्त हो रहा है
अतः अयोध्या का विकास न केवल धार्मिक दृष्टी से ही उपयोगी है बल्कि यदि सरकार कुशलता से अयोध्या का विकास करे तो वह अर्थव्यवस्था के मामले में दुबई की बराबरी करने की क्षमता रखती है  
RECENT UPDATE - 25-05-2025 : उपरोक्त लेख को लिखने के लगभग एक वर्ष बाद जब जी. एस. टी. (GST COLLECTION) के आंकड़े आये तो बड़ा हर्ष हुआ कि जो बात श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर कही गई थी, अथवा जिस बात की संभावना व्यक्त की गई थी, कि "अयोध्या", प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देगा, वह सच साबित हुआ 
श्री राम मंदिर निर्माण (प्राण प्रतिष्टा के उपरांत) के मात्र एक वर्ष के अंदर ही अयोध्या का जीएसटी संग्रह (GST COLLECTION) पूरे उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक रहा अयोध्या के जीएसटी संग्रह (GST COLLECTION) ने उत्तर प्रदेश के सबसे धनी और प्रतिष्ठित शहरों नॉएडा और उसकी राजधानी लखनऊ को भी पीछे छोड़ दिया। यदि मात्र राम जन्मभूमि ट्रस्ट की बात करें तो अकेले उस ट्रस्ट ने ही सरकार को पिछले पांच वर्षों में लगभग "400" करोड़ रू0 का जीएसटी दिया है, जो कि किसी धार्मिक संस्था द्वारा सरकार को दी गई बहुत बड़ी रकम है। जो लोग श्री राम मंदिर के स्थान पर स्कूल और अस्पताल इत्यादि के निर्माण की बात करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए, कि जो पैसा मात्र श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने ही सरकार को दिया है, मात्र उसी पैसे से कम से एक मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा सकता है, बाकी पूरी अयोध्या के द्वारा दिए जा रहे GST के पैसे से कई स्कूल और अस्पतालों का निर्माण कराया जा सकता है    


VETICAN CITY 

                                                                                 Makka

Makka

                                                                                    Makka 

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     अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपलक्ष्य में, मैंने भी अपनी कॉलोनी में एक सूक्ष्म पूजन कार्यक्रम करने का मन बनाया ।  मेरे साथ, मेरी ही कॉलोनी के सज्जन व्यक्ति भी पूरे उत्साह से सम्मिलित हुए । तय कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर, हम दोनों अगले दिन के कार्यक्रम हेतु प्रसाद की व्यवस्था करने के लिए, बाजार से जरूरी सामान खरीदने गए ।  जब मैं केले खरीदने को एक ठेले वाले दुकानदार के पास गया और उससे बड़ी संख्या में केले मांगे, तो वह समझ गया कि मैं अगले दिन के कार्यक्रम के लिए प्रसाद हेतु इतने अधिक केले मांग रहा हूँ । सारे केले देने के बाद, उसनें "पांच केले" मुझे अलग से दिए, और बोला कि भगवान श्री राम के कार्य हेतु मेरा भी एक छोटा सहयोग ले लीजिये । मैंने उसे ऐसा करने से मना किया और कहा  – तुम अपना नुकसान क्यूँ कर रहे हो ? इसकी कोई आवश्यकता नहीं है । लेकिन वह विनय भाव से मुझसे बोला – “मुझे मना मत करिए साहब, भगवान राम के कार्य के लिए मेरी ओर से भी, मेरा यह छोटा सा सहयोग ले लीजिये, मैं भी उनकी पूजा में भागीदार बनना चाहता हूँ।" मैं चाह कर भ...

पैसों के निवेश हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

भारतीय समाज में आज भी अधिकतर लोगों में धन के निवेश को लेकर अपेक्षित ज्ञान व समझ की कमी है. जिन लोगों के पास धन के नियमित स्रोत हैं, अथवा जिनके पास कहीं से एक मुस्त धन प्राप्त होता है (जैसे रिटायरमेंट के बाद मिला हुआ धन/पैतृक संपत्ति अथवा इन्सुरेंस इत्यादि से प्राप्त हुआ धन) वे अपने धन को सुरक्षित रखते हुए उससे बेहतर लाभ प्राप्त करने हेतु उचित स्थान पर निवेश के मार्ग तलाशते हैं. इस तलाश में उनके सबसे बढे सलाहकार उनके अपने कुछ करीबियों साथी / रिश्तेदार ही होते हैं, और वे उन्हीं की सलाह के अनुसार अपने धन का निवेश करते हैं. बहुत से लोगों के कुछ रिश्तेदार, अथवा करीबी ऐसे भी होते हैं, जो कुछ बीमा कंपनियों में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहे होते हैं; ऐसे कमीशन एजेंट हमेशा ऐसे ही लोगों की तलाश में रहते हैं, जिनके पास धन के कोई नए स्रोत बने हों अथवा जिन्हें कहीं से बड़ा धन अचानक प्राप्त हुआ हो. उदाहरण के तौर पर - जिसकी नई नौकरी लगी हो, किसी बीमा का पैसा मिला हो, रिटायरमेंट के उपरान्त फंड इत्यादि का पैसा मिला हो अथवा पैतृक संपत्ति से बड़ा धन प्राप्त हुआ हो इत्यादि. ये कमीशन एजेंट्स, ऐसे लोगों...

हिट एंड रन कानून और ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल

हाल ही में, केंद्र सरकार ने “हिट एंड रन” कानून के तहत होने वाली सजा में कुछ परिवर्तन करके, एक नया संशोधित कानून प्रस्तुत किया है. परन्तु इस लेख के लिखे जाने तक (दिनांक 02-01-2023) यह कानून लागू नहीं किया गया है. फिर भी इस नए कानून में दिए गए प्रावधानों के विरोध में, भारत के कई हिस्सों के ट्रक चालकों ने हड़ताल शुरू कर दी है.                                                    इस संशोधित कानून के तहत, यदि कोई वाहन चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए, अपनी गाड़ी द्वारा किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है और उसके बाद वह वाहन चालक, पुलिस अथवा सम्बंधित अधिकारियों/संस्थानों को सूचित किये बगैर फरार हो जाता है, तो अब उसे “दस वर्ष तक का कारावास” एवं “7” लाख रूपये तक का जुर्माना” भरना पड़ सकता है. पूर्व के कानून में इस प्रकार की घटना के बाद अधिकतम “दो वर्षो” के कारावास का प्रावधान था. इस मुद्दे पर यह समझना आवश्यक है कि इस प्रकार की किसी दुर्घटना होने पर वाहन चालक, घटना वाली ...

महबूबा मुफ़्ती का 'हमास' प्रेम

                                                    “महबूबा मुफ़्ती” ने ‘अमेरिका’ के ‘लास एन्जलेस’ में, जंगल की आग से हो रहे बड़े पैमाने पर संपत्ति के नुकसान के बहाने, गाजा का मुद्दा उठाया है. “महबूबा मुफ़्ती” के मुताबिक़ ‘गाजा’ में, ‘इजराइल’ की ओर से की जा रही सैन्य कार्यवाही से हो रहे जान माल के नुकसान के पीछे ‘इजराइल’ दोषी है. खैर “महबूबा मुफ़्ती” जैसे लोगों से इसी प्रकार के बयानों की अपेक्षा है. वे भारत के अधिकतर लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में कभी कोई चूक नहीं करती हैं. उनके ईमानदारी की दाद देनी पड़ेगी, कि वे कभी भी लोगों के बीच भ्रम उत्पन्न करने की कोई गलती नहीं करतीं; जिससे कि लोग किसी क्षण यह महसूस करने लग जायें कि “महबूबा मुफ़्ती” में कोई आत्म परिवर्तन होने लगा है.   “महबूबा” ने कभी भी ‘हमास’ को यह सुझाव देने की जहमत नहीं उठाई, कि वह ‘इजराइल’ के ‘बंधक नागरिकों’ को अपने चंगुल से छोड़ दे; जिससे इजराइल द्वारा की जाने वाली सैन्य कार्यवाही को रोकने का को...

वर्ष 2024 के अमेरिकी चुनाव की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के सन्देश

        कुछ समय पूर्व ही अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव संपन्न हुए. जो लोग इस चुनाव के परिणामों एवं चुनाव के दौरान होने वाली विभिन्न घटनाओं को लेकर जिज्ञासु थे, उनके लिए यह चुनाव बड़ा दिलचस्प रहा. जिन्हें इस बार के चुनाव में दिलचस्पी रही, उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई विभिन्न घटनाओं का अपने – अपने नजरिये से विश्लेषण किया और उसी के अनुरूप निष्कर्ष भी निकाले.   इस चुनाव के अंतिम परिणाम के प्रति मेरे अंदर भी बड़ा उत्साह था. बहुत से लोगों की भाँति मैं यही चाहता था, कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति "डोनाल्ड" ट्रंप ही बनें. और अंततः वे ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में चुने गए. इस चुनाव के दौरान घटित कुछ घटनाओं ने मुझे बड़ा प्रभावित किया. उनमें से जिन घटनाओं ने मुझे प्रभावित किया, उनमें से प्रमुख घटनाओं का मैं यहाँ उनका जिक्र कर रहा हूँ. कुछ वर्षों पूर्व तक, मैं इस पूर्वाग्रह से ग्रसित था कि “हमारे भारतीय नेताओं एवं यहाँ के सामान्य जन मानस” का चुनावी दृष्टिकोण बड़ा ही सीमित होता है, जबकि विकसित देशों के लोग बड़ा विशाल और उदार दृष्टिकोण रखते हैं. वे अपने ...

फारुख अब्दुल्ला द्वारा 'मानवता' शब्द का अपनी सुविधानुसार प्रयोग

".....‘फारुख अब्दुल्ला’ ने काश अपने पाकिस्तानी साथियों को तब भी ‘मानवता के धर्म’ के पालन की सलाह दी होती, जब पाकिस्तानी सरकार अपने देश में पिछले कई दशकों से बसे हुए ‘अफगानों’ को वापस उनके मूल देश अफगानिस्तान भेज रही थी ...."

"पाकिस्तान और मोहम्मद गोरी" के कृत्यों में समानता - भारत को यह सुअवसर खोना नहीं चाहिये

............भारत विभाजन के बाद से ही हम पाकिस्तान के लगभग हर वार का मात्र तात्कालिक जवाब देकर उसे हर बार छोड़ दिया करते हैं; लेकिन वह अपनी हरकतों पर विराम लगाने को तैयार नहीं है. यह वैसा ही है जैसा मोहम्मद गोरी लगातार पृथ्वीराज चौहान पर हमले करता रहता था, और हर बार पृथ्वीराज चौहान उसे भाग जाने देते थे. परन्तु इसका अंत में क्या परिणाम हुआ यह सभी को पता है.  यदि पृथ्वीराज चौहान, मोहम्मद गोरी के दूसरे हमले पर ही उसका अंत कर दिए होते तो भारत का इतिहास कुछ और ही होता. इसलिए यदि पाकिस्तान को अभी नहीं रोक दिया गया तो भविष्य में भारत को भी पृथ्वीराज जैसा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है; क्योंकि पाकिस्तान मो0 गोरी की भांति भारत पर निरंतर हमले जारी रख रहा है ......

"ऑपरेशन सिन्दूर" की सफलता हेतु मोदी जी और भारत की सुरक्षा में लगे हुए सभी राष्ट्रभक्तों को धन्यवाद

...आज की सैन्य कार्यवाही से भारत ने पाकिस्तान की रक्षा मजबूती का आकलन तो कर ही लिया, परन्तु भारत को इतिहास से सबक लेते हुए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे शत्रु को बार – बार हरा कर छोड़ देना उचित नहीं होगा; जैसा कि पृथ्वी राज चौहान ने मोहम्मद गोरी के साथ किया था. इसकारण पाकिस्तान को इस हालत में पहुंचा दिया जाए कि उसकी आने वाली कई -कई पीढियां भी कभी भारत के बारे में बुरा सोचने तक की हिम्मत न कर सके...