‘पहलगाम’ की आतंकी घटना के परिदृश्य को यदि देखा जाए तो इसमें 'अमेरिका' की भूमिका संदेहात्मक प्रतीत होती है. ‘पहलगाम’ में आतंकी हमला तब होता है, जब भारत के प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’, ‘रूस’ के ‘स्वतंत्रता समारोह’ में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए जाने वाले होते हैं. इस दौरान इस बात की पूरी संभावना थी, कि ‘भारत’ और ‘रूस’ के शीर्ष नेता, ‘नाटो’ प्रायोजित युद्ध की बात करें और एक दूसरे की मदद के लिए किसी ठोस निर्णय पर पहुँचें. बस उनकी इसी वार्ता और ‘भारत – रूस’ गठजोड़ को रोकने अथवा बाधित करने के लिए ‘पहलगाम’ में आतंकी हमला कराया गया. इस आतंकी घटना के बाद स्वाभाविक रूप से ‘नरेंद्र मोदी’ का ‘रूस’ दौरा रद्द हो जाता है. और फिर ‘भारत – पाकिस्तान’ में ‘लिमिटेड युद्ध’ होता है, और इस युद्ध में हमेशा की तरह पाकिस्तान तो मुंह की खाता ही है, परन्तु उसके साथ ही अमेरिका और चीन के हथियारों की भी विश्व स्तर पर किरकिरी हो जाती है. इसके तुरन्त बाद ‘डोनाल्ड ट्रम्प’, पाकिस्तान में आतंकियों की फैक्ट्री के मालिक, जो वहां का सेना प्रमुख है, उसे ‘अमेरिका’ में दावत पर बुलाते हैं और उसे सम्मान देत...