......यदि एक अकेले 'रूस' के विरुद्ध 'अमेरिका और उनके अधिकतर यूरोपियन लुटेरे साथी' इकट्ठे होकर उसे नुकसान पहुँचाने का काम करें, तो उनके अनुसार वह एकदम उचित व न्यायसंगत है; लेकिन कोई दूसरा देश यदि अपने हितों के अनुरूप काम करने का निर्णय करे, तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह पहले इस गैंग की अनुमति प्राप्त करे. किसी दूसरे 'देश,' अथवा 'देशो के समूह' को यह अधिकार कदापि नहीं है कि वे किसी का साथ देने अथवा न देंने का निर्णय स्वयं से करें. यह विशेषाधिकार मात्र इसी गैंग को हासिल है ............ कुछ समय पहले ‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप’ ने कहा था, कि ‘भारत’ ‘रूस’ से तेल खरीद कर ‘रूस’ को आर्थिक फायदा पहुंचा रहा है. ‘भारत’ को बेचे जाने वाले तेल से ‘रूस’ को जो आर्थिक फायदा हो रहा है, ‘रूस’ उसका उपयोग ‘युक्रेन’ के विरुद्ध युद्ध करने में इस्तेमाल कर रहा है. चूंकि लम्बे से ‘ट्रंप’ शासित ‘अमेरिका’ और ‘यूरोप’ के अधिकांश देशों का ‘गिरोह’ मिलकर भी ‘रूस’ का बाल बांका नहीं कर पा रहा है, इसलिए वे मिलकर अपनी खीझ दूसरों पर निकाल रहे हैं. ऐसे में उन्हें ‘चीन’ और ‘भारत’ अपन...